
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों का अत्यधिक महत्व है। नक्षत्र न केवल किसी व्यक्ति की कुंडली को प्रभावित करते हैं, बल्कि उनके जीवन के हर पहलू पर अपना सूक्ष्म लेकिन शक्तिशाली प्रभाव छोड़ते हैं। किसी भी व्यक्ति का जन्म जिस नक्षत्र में होता है, उसका संबंध उसकी प्रकृति, व्यवहार, स्वास्थ्य, संबंध, और भाग्य से गहराई से जुड़ा होता है। कई बार देखा गया है कि कुछ नक्षत्रों में जन्म लेने वाले व्यक्तियों के जीवन में लगातार संघर्ष, स्वास्थ्य समस्याएं, या पारिवारिक कष्ट बने रहते हैं।
तो आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे — कौन सा जन्म के लिए अशुभ नक्षत्र होता हैं? यह जानना न केवल ज्योतिष के दृष्टिकोण से आवश्यक है, बल्कि जीवन में शांति, सफलता और बाधाओं के समाधान के लिए भी यह जानकारी अत्यंत उपयोगी है।
नक्षत्र क्या होते हैं?
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा के भ्रमण के आधार पर आकाश को 27 भागों में विभाजित किया गया है, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। हर नक्षत्र 13 अंश 20 कला के विस्तार में फैला होता है। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। इन नक्षत्रों के नाम हैं — अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा… आदि।
इनमें से कुछ नक्षत्र शुभ माने जाते हैं, जबकि कुछ को अशुभ नक्षत्र की श्रेणी में रखा गया है। परंतु यह भी ध्यान देना चाहिए कि हर अशुभ नक्षत्र का प्रभाव समान नहीं होता, और सही उपायों से इसके दोषों को कम किया जा सकता है।
कौन सा जन्म के लिए अशुभ नक्षत्र होता हैं?

अब आइए विस्तार से जानते हैं कि कौन सा जन्म के लिए अशुभ नक्षत्र होता हैं? और वे व्यक्ति के जीवन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं।
मूल नक्षत्र
- तारा क्रम: 19वां
- स्वामी ग्रह: केतु
मूल नक्षत्र को प्रायः अशुभ नक्षत्र माना गया है, विशेष रूप से यदि किसी कन्या का जन्म इस नक्षत्र में हो।
क्यों अशुभ माना जाता है?
- पारिवारिक कलह और पिता के लिए कष्टकारी प्रभाव माना गया है।
- प्रारंभिक जीवन में संघर्ष और आर्थिक अस्थिरता।
- रोगों और आकस्मिक घटनाओं का योग।
परंतु मूल नक्षत्र के जातक अध्यात्म और रहस्यवादी विद्याओं में गहरी रुचि रखते हैं। यदि इनकी ऊर्जा सही दिशा में लगाई जाए, तो यह बड़े कार्य कर सकते हैं।
जेष्ठा नक्षत्र
- तारा क्रम: 18वां
- स्वामी ग्रह: बुध
कौन सा जन्म के लिए अशुभ नक्षत्र होता हैं? का उत्तर देते हुए जेष्ठा नक्षत्र को नकारा नहीं जा सकता।
अशुभता के कारण:
- मानसिक तनाव और पारिवारिक समस्याएं।
- स्त्रियों के लिए यह नक्षत्र विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण माना जाता है।
- भावनात्मक असंतुलन और आत्म-संदेह की प्रवृत्ति।
फिर भी, यह नक्षत्र नेतृत्व क्षमता और गूढ़ बुद्धि का प्रतीक है। यदि जातक विवेक और धैर्य रखे, तो यह नकारात्मक प्रभाव को सकारात्मकता में बदल सकता है।
अश्लेषा नक्षत्र
- तारा क्रम: 9वां
- स्वामी ग्रह: बुध
यह नक्षत्र अशुभ नक्षत्र की श्रेणी में इसलिए रखा गया है क्योंकि इसमें जन्म लेने वालों में चालाकी, छिपी महत्वाकांक्षा और कभी-कभी नैतिकता की कमी देखी जाती है।
क्यों माना गया है अशुभ?
- रिश्तों में धोखा, पारिवारिक कलह।
- शत्रुओं की अधिकता।
- अस्थिर विचार और निर्णय लेने की असमर्थता।
परंतु यह नक्षत्र गूढ़ विषयों और रहस्यमयी ज्ञान में सिद्धि का संकेत भी देता है। यदि व्यक्ति सही मार्ग चुने, तो यह नक्षत्र भी जीवन में बदलाव ला सकता है।
विशाखा नक्षत्र
- तारा क्रम: 16वां
- स्वामी ग्रह: बृहस्पति
कौन सा जन्म के लिए अशुभ नक्षत्र होता हैं? इसके उत्तर में विशाखा नक्षत्र का नाम कम लिया जाता है, परंतु इसके कुछ चरण विशेष रूप से अशुभ माने गए हैं।
क्यों?
- यह नक्षत्र द्वंद्व, भ्रम और मानसिक अस्थिरता को जन्म देता है।
- जातक लक्ष्य से भटक सकता है।
- वैवाहिक जीवन में तनाव और असंतोष की संभावना।
हालांकि, यह नक्षत्र बड़ी सफलता और प्रसिद्धि भी देता है यदि जातक अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहे।
कृतिका नक्षत्र
- तारा क्रम: 3वां
- स्वामी ग्रह: सूर्य
अशुभ नक्षत्र की चर्चा में कृतिका नक्षत्र का उल्लेख इसलिए आता है क्योंकि यह अत्यधिक क्रोधी, कठोर और नियंत्रण पसंद प्रवृत्ति को दर्शाता है।
क्यों अशुभ माना गया?
- जातक की प्रवृत्ति अहंकारी और आत्ममुग्ध होती है।
- दूसरों की भावनाओं के प्रति उदासीनता।
- पारिवारिक संबंधों में खटास।
फिर भी यह नक्षत्र तेज बुद्धि, निर्णय क्षमता और नेतृत्व योग देता है — बशर्ते जातक आत्मसंयम रखे।
अशुभ नक्षत्र के प्रभाव – जन्म से जीवन तक
जब हम यह पूछते हैं कि कौन सा जन्म के लिए अशुभ नक्षत्र होता हैं?, तो केवल नक्षत्र का नाम जानना पर्याप्त नहीं होता, बल्कि यह समझना भी आवश्यक होता है कि उसका प्रभाव जीवन के किन-किन पहलुओं पर पड़ता है:
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- बार-बार बीमार पड़ना
- मानसिक तनाव
- दीर्घकालिक रोग
- परिवार और रिश्तों पर प्रभाव:
- माता-पिता से दूरी
- वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ
- संतान से कष्ट
- आर्थिक पक्ष:
- धन की हानि
- निवेश में असफलता
- कार्यक्षेत्र में अस्थिरता
- मानसिक और आध्यात्मिक जीवन:
- असंतोष, भ्रम और अवसाद की प्रवृत्ति
- आत्म-विश्वास की कमी
- कभी-कभी आध्यात्मिक जागृति भी
क्या अशुभ नक्षत्र का प्रभाव स्थायी होता है?

नहीं। ज्योतिष में मान्यता है कि कोई भी दोष अपरिवर्तनीय नहीं होता। उचित उपायों, जप, पूजा, और कर्म सुधार के द्वारा अशुभ नक्षत्र के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए:
- मूल नक्षत्र के लिए “केतु शांति पूजा”
- जेष्ठा नक्षत्र के लिए “बुध ग्रह का जप”
- अश्लेषा नक्षत्र के लिए “नाग पूजा”
- कृतिका नक्षत्र के लिए “सूर्य अर्घ्य” देना
क्या हर अशुभ नक्षत्र जीवन को बर्बाद करता है?
बिल्कुल नहीं।
यह जानना ज़रूरी है कि कौन सा जन्म के लिए अशुभ नक्षत्र होता हैं?, परंतु साथ ही यह भी समझना आवश्यक है कि हर व्यक्ति की कुंडली में और भी कई तत्व होते हैं — जैसे ग्रहों की स्थिति, योग, दशा-अंतर्दशा आदि। यदि अशुभ नक्षत्र है, परंतु शुभ योग या ग्रह स्थितियाँ मौजूद हैं, तो व्यक्ति बड़े-बड़े कार्य कर सकता है।
ज्योतिष एक गूढ़ विज्ञान है जो हमें न केवल भविष्य की जानकारी देता है, बल्कि हमारे व्यक्तित्व की गहराइयों को भी उजागर करता है। यह जानना कि कौन सा जन्म के लिए अशुभ नक्षत्र होता हैं? एक महत्वपूर्ण जानकारी है, परंतु यह केवल आरंभ है। सही उपाय, सही मार्गदर्शन और आत्मबल से आप अपने जीवन को शुभ बना सकते हैं।
अशुभ नक्षत्र, केवल डरने की बात नहीं है — बल्कि यह आत्मनिरीक्षण, सुधार और साधना का अवसर है। यदि आप या आपके परिजन ऐसे किसी नक्षत्र में जन्मे हैं, तो घबराएं नहीं, बल्कि योग्य ज्योतिषाचार्य से मार्गदर्शन लें और उचित उपाय करें।
रचना वर्मा, सुदामा नगर, इंदौर
“मेरे बेटे के जन्म के बाद परिवार में लगातार समस्याएँ आने लगीं – आर्थिक संकट, स्वास्थ्य परेशानियाँ और तनाव। किसी ने सुझाव दिया कि शायद जन्म का नक्षत्र अशुभ हो सकता है। हम विजय नगर स्थित एस्ट्रोलॉजर साहू जी के पास पहुँचे। उन्होंने कुंडली देखकर बताया कि बच्चा ‘मूल नक्षत्र’ में जन्मा है, जिसे विशेष पूजा और शांति उपाय से ठीक किया जा सकता है। उनकी सलाह से हमने विधिवत उपाय किए और स्थिति में सचमुच सुधार आया। एस्ट्रोलॉजर साहू जी, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी, सच में मार्गदर्शक हैं।”
अनुपम ठाकुर, राऊ, इंदौर
“हमारे घर में किसी भी शुभ कार्य में रुकावटें आ रही थीं। जब एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मेरी बेटी का जन्म ‘अर्ध्रा नक्षत्र’ में हुआ है, जो कुछ मामलों में अशुभ माना जाता है। उन्होंने तुरंत सरल उपाय और ग्रह शांति के सुझाव दिए। हमने घर में विशेष पूजा करवाई और कुछ घरेलू उपाय अपनाए। इसके बाद से घर का वातावरण सकारात्मक हो गया। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से हमें सही दिशा मिली।”
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